उपासना एवं आरती >> ओंकार साधना ओंकार साधनाबी. एल. वत्स
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क्रिया योग, प्राणायाम, शब्द साधना द्वारा आत्मशक्ति जागरण
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
ओंकार परब्रह्म है। वह निखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। उसे शब्द ब्रह्म और नाद ब्रह्म के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक वेदमन्त्र के उच्चारण से पूर्व तथा पाठ समाप्ति के बाद इसे लगाया जाता है। ओंकार के तीन अक्षरों से ही तीन व्याहृतियाँ उत्पन्न हुँ भूर्भवः स्वः। ये व्याहृतियाँ गायत्री मन्त्र की शीर्ष हैं। सृष्टि के जितने पदार्थ हैं सबमें ओंकार ही व्याप्त है। ओंकार की विधिवत् साधना से अष्ट सिद्धियाँ और नवनिधियों की प्राप्ति कैसे हो सकती है इसकी क्रियात्मक विधि इस कृति में समझाई गई है।
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